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NEWS UPDATES(पुण्यतिथी विशेष) गजलों के सुरो में आज भी जिंदा है जगजीत सिंह!

जगजीत सिंह (8 फ़रवरी 1941 – 10 अक्टूबर 2011) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है और उनकी आवाज़ संगीत के साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाती है। खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली, नवाबों-रक्कासाओं की दुनिया में झनकती और शायरों की महफ़िलों में वाह-वाह की दाद पर इतराती ग़ज़लों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को पहले पहल दिया जाना हो तो जगजीत सिंह का ही नाम ज़ुबां पर आता है। उनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को सन २००३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फरवरी 2014 में आपके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए।

“वह कागज की कश्ती वह बारिश का पानी,हमारी यादों के सबसे पुराने निशानी” जगदीश सिंह की आज पुण्यतिथि है! उन्हें विदा हुए 12 साल हो गए लेकिन उनकी आवाज अमर है! जो लोग संगीत में सुकून ढूंढते हैं! उनके लिए जगदीश सिंह अमर है! वह खुद कहते थे कि उन्होंने गालिब को मिर्ज़ा ग़ालिब बनकर गया है जगजीत सिंह बनकर नहीं खुद को मिटा दिया इसलिए आज हमारे बीच में अमर हो गए जगदीश सिंह कहां तुम चले गए….

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